विगत दिनों, एक राष्ट्रीय स्तर के इंजीनियरिंग कॉलेज ने कॉलेज कैंपस मे स्टूडेंट्स के बाइक चलाने पर रोक लगा दी l स्टूडेंट्स ने इसका बहुत विरोध किया l लेकिन ऐसा स्टूडेंट्स की सुरक्षा के मद्देनज़र ही किया गया था l हम आये दिन अखबारों में रोड एक्सीडेंट्स में होने वाली मानव क्षति के बारे में पढ़ते हैं और ये राष्ट्र क्षति है भी ऐसी जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है l रोड एक्सीडेंट्स के बारे मे आंकड़े काफी चौकाने वाले हैं एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर ४ मिनट में एक व्यक्ति रोड एक्सीडेंट्स का शिकार होता है l दुनिया के अधिकतर देशो में रोड एक्सीडेंट्स को रोकने या कम करने के लिए वहाँ सरकारो ने बहुत से कदम उठायें हैं और भारत में भी सरकार ने इस दिशा में बहुत सारे कदम उठायें हैं सरकार ने बहुत सारे जागरूकता प्रोग्राम्स शुरू किये हैं रोड सेफ्टी के लिए l साथ ही साथ बहुत सारे ngo भी रोड सेफ्टी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने स्तर पर प्रयासरत हैं l मेरे विचार से अब वह समय आ गया है जब हमें रोड सेफ्टी विषय को स्कूल और कॉलेजेस में अनिवार्य बना देना चाहिए l स्कूल स्तर पर ही रोड सेफ्टी विषय शुरू करने के बहुत से फायदे होंगे जैसे कि:-
- स्टूडेंट्स ट्रैफिक एनवायरनमेंट के बारे में स्कूल स्तर पर ही ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे l
- दोपहिया वाहनों के लिए हेलमेट कितना महत्वपूर्ण है, यह जान सकेंगे और उसका उपयोग करेंगे l
- ट्रैफिक सिग्नल्स की महत्ता को समझ सकेंगे l
- फुटपाथ क्यों आवश्यक है इसका ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे l
- एक्सीडेंट्स हो जाने पर क्या कदम उठाने हैं इसका स्टूडेंट्स को ज्ञान रहेगा l
इन सब के अलावा अन्य बहुत सारी बातें जो फ्यूचर में उनके लिए इम्पोर्टेन्ट हैं , वो सभी बातें स्टूडेंट्स अपनी स्टूडेंट लाइफ में ही सीख सकेंगे l
डॉ अजय प्रताप सिंह
संपादक
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