विश्व विख्यात प्रख्यात हिंदी भाषा है ये,
हर कोई इसका ना पाठ कर पाएगा ।
पीढियों की जानी भाषा ,सब ने ये मानी भाषा,
कोई इसका क्या इतिहास बत लाएगा।
कविता हो कोई पढनी , पाठ कोई सुनना है,
इसका मजा तो हिंदी में ही आ पाएगा।
जानी-मानी सरल , सुगम ही है भाषा यह,
कवियों का इसमें इतिहास मिल जाएगा।
साहित्य की जान ,हिंदी व्याकरण का मान हिंदी,
इसमें संस्कारों का भंडार मिल जाएगा।
इसमें श्रृंगार भी है ,इसमें हास्य, वीर भी है ,
रोद्र और वात्सल्य भी इसमें मिल जाएगा।
हिंदी मां के प्रेम सी है, बाप के दुलार जैसी ,
इसमें भाई बहनों का प्यार भी समाएगा ।
चंद्रवरदाई, पृथ्वीराज रासो, प्रेमचंद्र,
अटल बिहारी जी भी हिंदी में समाए हैं ।
इसमें है हिंदी और, हिंदी में है ये सब,
मर के भी हिंदी को अमर ये बनाऐ है।
हिंदी में है मान बड़ा ,हिंदी पे गुमान बड़ा ,
बड़े -बड़े कवियों को मान दिलवाए है।
बड़े- बड़े कवियों को मान दिलवाए है।
नेहा व्यास ( लेखिका )
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