आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने बीते दिनों एक कार्यक्रम में कहा, ''मुद्रा योजना ने जहां एक तरफ देश के कई लाभार्थियों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में बड़ी मदद की तो वहीं इसमें कई कर्जदारों के बीच नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए के बढ़ते स्तर को लेकर कुछ चिंता भी है.'' श्री जैन के व्यक्तव्य से यह लगता है कि आने वाले समय में मुद्रा लोन बैंकों के लिए नया सरदर्द बन जायेगा l मुद्रा योजना मोदी सर्कार की एक महत्वाकांक्षी योजना थी जिसका उद्देश्य लोगों को आत्मनिर्भर बनाना था l साल २०१५ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की थी,ताकि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को जरूरी वित्तपोषण सुविधा मिल सके l इसके तहत लोगों को 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के कर्ज बांटे जा रहे हैं l पिछले दिनों सरकार ने सदन को बताया है कि इस योजना के तहत आवंटित 6.04 लाख करोड़ रुपये में करीब 3 फीसदी राशि नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए हो गई है l वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में बताया, ''मार्च 2019 तक मुद्रा योजना की करीब 17,251 करोड़ रुपये की राशि एनपीए हो गई थी l यह राशि कुल वितरित रकम का 2.86 फीसदी है l ''
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