Sunday, May 10, 2020

वो भी एक माँ है l (ये भी एक सत्य है कि भारत में १००० से भी ज्यादा वृद्धाश्रम है l )

कल रात 12 बजे के बाद से (10  मई 2020, 00:01 AM ), ज्यादातर लोगों के whatsapp स्टेटस में mothers day नज़र आने लगा l अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी लोग अपनी माँ के साथ फोटो शेयर करके बहुत खुश नज़र आ रहे हैं l बड़ी ख़ुशी की बात है, कि हमें अपनी माँ  का इतना ख्याल रहता है l लेकिन क्या यह जरुरी है कि हम सिर्फ mothers day पर ही अपनी माँ के साथ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करें ? क्या सिर्फ mothers day पर अपनी जननी के साथ सेल्फ़ी खींचे और उन्हें दुनिया को दिखाएँ ? अरे भाई ये दिखावा क्यों ? मैं तो अपनी माँ के साथ रोजाना कई सारी सेल्फी खींचता हूँ, और अगर वो साथ नहीं होती तो वीडियो कॉल के जरिये उनकी और खुद की फोटो खींचता हूँ, बस मैं उन फोटोग्राफ्स को कभी कहीं शेयर नहीं करता हूँ, ये मेरी व्यक्तिगत सोंच और नज़रिया हो सकता है l खैर मुद्दे की बात पर आते हैं , ये जो mothers day के दिन इतनी सारी खुश माताओँ की फोटो लोगों के whatsapp स्टेटस में और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दिख रहीं हैं, तो फिर देश भर के विभिन्न वृद्धाश्रमों में जो बुज़ुर्ग महिलाएं या कहुँ जो माताएं रह रही हैं, वो कौन हैं ? आज mothers day था तो दिखावे के लिए माँ के साथ फोटो लगा ली (अपवाद हो सकते हैं ) l मैं बहुत सारे ऐसे लोगों को जानता हूँ, जो अभी तक अपनी माँ को अपने साथ इसलिए रख रहे हैं , क्योंकि उस बूढ़ी माँ की अच्छी खासी पेंशन आती है l कुछ ऐसे भी जिन्हे माँ का साथ सिर्फ इसलिए चाहिए, क्योंकि पिता जी का बनाया गया मकान और अन्य प्रॉपर्टी अभी तक माँ के नाम ही है l आज के वर्किंग पेरेंट्स माँ को सिर्फ इसलिए अपने साथ रखते हैं, जिससे कि उनके छोटे बच्चों की देख भाल हो सके l कहने का मतलब जबतक स्वार्थ है, तबतक माँ का साथ चाहिए, जैसे ही स्वार्थ ख़तम माँ को पंहुचा दो वृद्धाश्रम l अगर यही स्वार्थ हमारी माँ हमारे साथ करती तो आज हमारा दुनिया में कोई अस्तित्व ही नहीं होता l इसलिए मेरा तो मानना है, कि  भले ही हम mothers day मनाये या न मनाये, कभी ऐसा कुछ न करे जिससे हमारी माँ को दुःख पहुंचे l माँ को लेकर हमारे मन में किसी भी प्रकार का स्वार्थ नहीं होना चाहिए l हम सब को मिलकर कुछ ऐसा करना चाहिए कि इस दुनिया से वृद्धाश्रम नाम की चीज़ ही ख़तम हो जाये क्योंकि जब हम छोटे थे, कुछ बोल नहीं पाते थे , तब माँ सब कुछ समझ जाती थी l आज माँ बूढ़ी हो गयी, चलने फिरने असमर्थ है, ठीक से बोल नहीं पाती है और उसे हमारी बहुत जरुरत है, तब हम क्या करते हैं, उसे वृद्धाश्रम भेज देते हैं, और वो भी बिना कुछ बोले चुपचाप चली जाती है , क्यों ? क्योंकि वो माँ है, जो बिना कुछ बोले और सुने सब समझ जाती है l उसने हमारी वो बातें समझ ली जो हम बोल तक नहीं पाते थे, और ये तो वो बातें हैं जो एक माँ सिर्फ इशारों में ही समझ जाती है l मेरा मेरे पाठकों से विनम्र निवेदन है, कि mothers day मनाए लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बल्कि माँ को खुश रखने के लिए, क्योंकि माँ खुश तो ईश्वर भी खुश और अगर ईश्वर खुश है तो समझ लीजिये मोक्ष मिलना तय है l 



(फोटो सोर्स :-गूगल )


डॉ अजेय प्रताप सिंह 


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