आज के समय में मनुष्य स्वार्थवश कुछ भी करने को तैयार है लेकिन त्याग नहीं l क्या आप जानते हैं कि जिस व्यक्ति में त्याग की भावना में होती है उसे न चाहते हुए भी सभी प्रकार की सुख सुविधाएं अपने आप मिल जाती हैं l जिस प्रकार भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए स्वयं विषपान किया, उसी प्रकार श्रेष्ठ व्यक्ति किसी भी प्रकार का त्याग करने के लिए सदैव तैयार रहता है l त्याग की भावना व्यक्ति को मानवता के करीब लाती है और ऐसा व्यक्ति सम्मान का अधिकारी होता है l जिस व्यक्ति में कल्याण की भावना नहीं होती है वह न तो अपना विकास कर पाता है और न ही उसके किए गए कार्यों से मानव को कोई भला होता है इसलिए भगवान् शिव की तरह व्यक्ति को मानव कल्याण के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि शिव का अर्थ कल्याण भी होता है l इसलिए जीवन में यदि बड़ा बनना है तो इस बात का सैदव ध्यान रखें कि उसके किए जा रहे हैं कार्य से लोगों का कितना कल्याण होगा l जो व्यक्ति इस विचार से कार्य को आरंभ करता है उसका सदैव कल्याण होता है l
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