Thursday, August 6, 2020

प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक भाषण का आरम्भ भी भगवान् राम की जय के साथ और अंत भी भगवान् राम की जय के साथ l बोले- राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम l

आज यानि 05 अगस्त 2020 को राम मंदिर के ऐतिहासिक भूमि पूजन के बाद देश की जनता को जिस बात का सबसे अधिक इंतेज़ार था वह था पी एम मोदी का  भाषण। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज के पावन, पवित्र और ऐतिहासिक दिन ऐसा  ऐतिहासिक और जोरदार भाषण दिया कि हर भारतवासी की आत्मा तक मंत्रमुग्ध हो गयी l  अपने  35 मिनट के इस भाषण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियावर राम चंद्र की जय के साथ की और अंत भी सियापति रामचंद्र की जय के उदघोष के साथ किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राम सबके हैं, राम सबमें हैं। कोरोना काल में राम की मर्यादा का महत्व बताया। राम की रीति बताई कि बिना भेदभाव के सभी के विश्वास से विकास करना है। तो, भय बिनु होय ना प्रीति से राम की नीति बताई। कहा- भारत जितना ताकतवर होगा प्रीति उतनी ज्यादा बढ़ेगी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम नाम लेकर किस तरह वर्तमान और भविष्य के भारत की रीति-नीति समझाई, उसे समझिये:-


1.रामकाज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम यानी सदियों का संकल्प पूरा हुआ


आना स्वाभाविक था, क्योंकि राम काज किन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम। सोमनाथ से काशी विश्वनाथ, बोधगया से सारनाथ, कन्याकुमारी से कश्मीर, अमृतसर से पटना साहिब, लक्षद्वीप से लेह तक पूरा भारत राम मय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक है। सदियों का इंतजार समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा होगा कि वो अपने जीते जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं। बरसों से टेंट के नीचे रहे हमारे रामलला के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस क्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हुई है।


2. आजादी के आंदोलन की तरह मंदिर आंदोलन तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक


आजादी की लड़ाई में कई पीढ़ियों ने अपना सबकुछ समर्पित कर दिया। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था, जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो। देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। 15 अगस्त का दिन उस अथाह तप का, लाखों बलिदानों का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढ़ियों ने अखंड और अविरल एकनिष्ठ प्रयास किया। आज का दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।


3. श्रीराम का मंदिर आधुनिकता का प्रतीक बनेगा, यानी अयोध्या का अर्थतंत्र बदलेगा
श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। जानबूझकर आधुनिक शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। हमारी शाश्वत आत्मा और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। ये मंदिर करोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का प्रतीक रहेगा। आने वाली पीढ़ियों को आस्था, श्रद्धा और संकल्प की प्रेरणा यह मंदिर देता रहेगा। इस मंदिर के बनने के बाद अयोध्या की भव्यता ही नहीं बढ़ेगी, इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र ही बदल जाएगा। हर क्षेत्र में नए अवसर बनेंगे, हर क्षेत्र में अवसर बढ़ेंगे।


4. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी देश ने राम जैसी मर्यादा दिखाई यानी शांति बनाए रखी
कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम मर्यादाओं के बीच हो रहा है। श्रीराम के कार्यक्रम में मर्यादा का जैसा प्रस्तुत करना चाहिए, देश ने वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसी मर्यादा का पालन हमने तब भी किया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। सभी देशवासियों ने शांति के साथ सभी की भावनाओं का ख्याल रखते हुए काम किया था।


5. राम ने समरसता को आधारशिला बनाया यानी आज के भारत की भी यही नींव
भारत की आस्था, सामूहिकता और उसकी अमोघ शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन और शोध का विषय है। साथियों, श्रीराम चंद्र को तेज में सूर्य, क्षमा में पृथ्वी, बुद्धि में बृहस्पति के समान और यश में इंद्र के समान माना गया है। श्रीराम का चरित्र जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है वो है सत्य पर अडिग रहना। इसलिए श्री राम सम्पूर्ण हैं, इसलिए ही वो हजारों वर्षों से भारत के लिए प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं। श्री राम ने सामाजिक समरसता को अपने शासन की आधारशिला बनाया। उन्होंने वशिष्ठ से ज्ञान, केवट से प्रेम, शबरी से मातृत्व, हनुमान से सहयोग और प्रजा से विश्वास प्राप्त किया। एक गिलहरी की महत्ता को भी स्वीकार किया।


6. दुनियाभर में राम भिन्न-भिन्न रूपों में पर हैं सबके यानी दुनिया को राम से जोड़ा
तमिल में कंब रामायण, तेलुगु में रघुनाथ और रंगनाथ रामायण, उड़िया में रुईपात कातेड़पति रामायण है, कन्नड़ में कुमुदेंदु रामायण है, आप कश्मीर जाएंगे तो आपको रामावतार चरित मिलेगा, मलयालम में रामचरितम् मिलेगी। गुरुगोविंद सिंह ने खुद गोविंद रामायण लिखी है।अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रामायणों में राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे। पर राम सब जगह हैं, राम सबके हैं। राम भारत की अनेकता में एकता के सूत्र हैं। दुनिया के कितने ही देश राम का वंदन करते हैं, वहां के नागरिक खुद को राम से जुड़ा हुआ पाते हैं। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है,वो हो इंडोनेशिया। वहां हमारे देश की तरह स्वर्णद्वीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायण वहां हैं। राम आज भी वहां पूजनीय हैं।कंबोडिया में रमकेड़ रामायण है, लाओस में फ्रालाप-फ्रालाप रामायण है मलेशिया मेें हिकायत श्रीराम रामायण है, थाईलैंड में रामाकेन है। आपको ईरान और चीन में भी राम के प्रसंग और रामकथा का विवरण मिलेगा। श्रीलंका में रामायण की कथा जानकी हरण के नाम से सुनाई जाती है और नेपाल माता जानकी से जुड़ा है। कितने ही देश हैं, जहां की आस्था और अतीत में राम रचे बसे हैं। आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं। जहां रामकथा प्रचलित है।


7. भय बिनु होय ना प्रीति राम की नीति से दुनिया को भारत की नीति समझाई
श्रीराम की नीति है भय बिनु होय ना प्रीति, इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी। राम की यही नीति और रीति सदियों से दुनिया का मार्गदर्शन करती रही है। गांधी ने इन्हीं के आधार पर राम राज्य का सपना देखा था। राम का जीवन और चरित्र ही गांधी के राम राज्य का रास्ता है।राम ने कहा है कि राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं और करते भी हैं। वो हमें समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं। राम परिवर्तन के पक्षधर हैं, आधुनिकता के पक्षधर हैं। उनकी इन्हीं प्रेरणाओं, आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है।


8. राम की मर्यादा कोरोना में भी जरूरी यानी सोशल डिस्टेंसिंग की मर्यादा
मोदी ने अपने भाषण में 3-4 बार कोरोना का जिक्र किया। कहा- आज भारत के लिए भी श्रीराम का यही संदेश है। हम बढ़ेंगे, देश बढ़ेगा। यह मंदिर युगों-युगों तक मानवता को प्रेरणा देगा। कोरोना की वजह से जो हालात है, प्रभु राम का मर्यादा मार्ग और अधिक जरूरी है। आज की मर्यादा है दो गज की दूरी, बहुत है जरूरी। राम-जानकी सभी को स्वस्थ रखें, सुखी रखें। सभी पर सीता और राम का आशीर्वाद बना रहे। सभी को कोटि-कोटि बधाइयां। सियापति रामचंद्र की जय, सियापति रामचंद्र की जय, सियापति रामचंद्र की जय।


 


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