अगर आप आने वाली पीढ़ी को ये बताएंगे कि सफल होना कष्टदायी है, तो निश्चित रूप से वो सफल होना नही चाहेंगे ; वह बस नशा कर के यूँही पड़े रहना ज्यादा अच्छा समझेंगे । क्या मैं गलत कह रहा हूँ ? एक बार सोच के देखिए !
आज कल लोगो से यूँ ही सुनने को मिल जाता है कि "मैं स्ट्रेस में हूँ।" हाँ, यह आज कल का फैशन हो गया है, अगर आप किसी अच्छे पद पर कार्यरत है तो आप का स्ट्रेस में होना जरूरी माने जाने लगा है, अगर आप स्ट्रेस में नही है मतलब आप अपने काम को अच्छे से नही कर रहे है ; सही कहा ना मैंने !
हर व्यक्ति के सामने हर दिन कुछ ना कुछ नई समस्या आती ही रहती है, आप उसे कैसे सम्भालते है ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने अंदर कैसे है ।
अगर आप चुन सकते तो आप क्या चुनते ; खुश रहना या दुखी रहना ? यकीनन हर व्यक्ति खुश रहना ही चुनेगा । जब आप खुश रहते है तब आप सही फैसले लेते है, सभी कामो को बेहतर ढंग से करते है । क्या उस वक्त आप स्ट्रेस में हो सकते है ? नही ना। क्यो ? क्योकि आपके अंदर सब कुछ ठीक है, आप हर परिस्तिथि को ठीक से सम्भाल रहे है ।
लेकिन अगर आप कह रहे है कि आप स्ट्रेस में है मतलब आप अंदर से सही नही है, आप अंदर से खुश नही है .... आप को बस इसे ही ठीक करना है। अंदर खुशहाली लानी है ,बाहर अपने आप आजायेगी । खुशहाली की वजह नही होनी चाहिए , यह बेवजह होनी चाहिए, क्यो की खुशहाली लक्ष्य नही है, यह बस कार्य करने का तरीका है, एक ऐसा तरीका जिस से कार्य बेहतर ढंग से होता है, वो भी बिना किसी स्ट्रेस के।
Monday, September 7, 2020
*तनाव मुक्त रहने का रामबाण तरीका*
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