PMCH के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के HOD डॉ. एसएन सिंह ने देश को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने का तरीका तलाश किया है। रिसर्च के आधार पर उनका दावा है कि रैपिड एंटिजन और रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट को एक साथ करने से कोरोना की तीसरी लहर देश में नहीं आ सकती है। उसे समय से रोका जा सकता है। डॉ. सिंह का दावा है कि इस मॉडल से कोरोना के 6 स्टेज का पता चलेगा। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस मॉडल के 5 फायदे भी गिनाए हैं। साथ ही पूरे देश में इसे लागू करने की अपील की है। उन्होंने पहले खुद, फिर पत्नी पर रिसर्च किया। इसके बाद करीब 100 लोगों पर रिसर्च के बाद वे तीसरी लहर को रोकने का दावा कर रहे हैं। डॉ. एसएन सिंह ने एंटीजन टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट के साथ एलाइजा IGM का टेस्ट किया। इस बड़े शोध में पाया कि दोनों टेस्ट की संयुक्त पहचान 90 से 100 प्रतिशत तक रही, जो RT-PCR जांच से लगभग 50 गुणा अधिक रही। जिन लोगों का दोनों टेस्ट निगेटिव आया। उस पर फिर से एलाइजा IGM टेस्ट कराया। एक- एक कर किए गए 100 लोगों पर शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि अगर एंटीजन टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट को संयुक्त रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट में इस्तेमाल किया जाए तो देश का करोड़ों रुपए बचेगा। साथ ही काफी तेजी से जांच हो जाएगी। मरीज का इलाज और आइसोलेशन भी उतनी ही तेजी से हो सकेगा। इससे RT-PCR की जांच रिपोर्ट के लिए होने वाला लंबा इंतजार और इससे फैलने वाले संक्रमण पर रोक लग जाएगा।
रैपिड एंटीबॉडी का ऐसे आ जाएगा रिजल्ट खोजा
- टेस्ट कार्ड में M और G एंटीबॉडी की लाइन दिखाई पड़ती है। जिसकी गिनती बड़ी आसानी से की जा सकती है।
- अगर हल्की M लाइन दिखती है तो 7 दिनों के आसपास का कोरोना है।
- अगर गाढ़ी M लाइन दिखी तो कोरोना एक से दो सप्ताह के बीच का है।
- अगर गाढ़ी M लाइन और हल्की G लाइन दिखी तो कोरोना दो से तीन सप्ताह का है।
- अगर गाढ़ी M लाइन और गाढ़ी G लाइन आई तो कोरोना 3 से 4 सप्ताह का है।
- अगर हल्की M लाइन और गाढ़ी G लाइन आई तो 4 से 6 वीक का कोरोना है।
- अगर केवल गाढ़ी G लाइन आई तो कोरोना 6 वीक के बाद का है जो एंटीबॉडी के रूप में है।
- यह एंटीबॉडी 6 से 9 महीने तक रह सकती है। यह पोस्ट कोरोना का संकेत होगा।
- PMCH के माइक्रोबायोलॉजी के HOD डॉ. एसएन सिंह बिहार के रोहतास जिले के नोखा के रहने वाले हैं। 1980 में उन्होंने नालंदा मेडिकल कॉलेज से MBBS किया था। वे MBBS में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। उन्होंने MD माइक्रो एंड पैथ की डिग्री ली है। साथ ही डिप्लोमा इन क्लीनिकल पैथ भी किया है।
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