यूरोपीय यूनियन की एजेंसी यूरोपीय सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) ने बुधवार को दावा किया है कि यूरोप में पिछले एक महीने में संक्रमण के जितने भी नए केस मिल रहे हैं, उनमें अकेले 90% मामले डेल्टा वैरिएंट के पाए गए हैं। ECDC ने आगे बताया कि डेल्टा वैरिएंट अन्य वैरिएंट कें मुकाबले तेजी से ट्रांसमिट हो रहा है। ऐसे में हमारा अनुमान है कि अगस्त के अंत तक आने वाले 90% नए मामले डेल्टा वैरिएंट के ही होंगे। अनुमान है कि डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2), अल्फा वैरिएंट (Β.1.1.7) की तुलना में 40 से 60% अधिक तेजी से फैल रहा है। अल्फा वैरिएंट पहली बार ब्रिटेन (UK) में मिला था।
भारत में कोरोना की दूसरी लहर के पीछे डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) ही था। यह सबसे पहले भारत में ही पाया गया था। अक्टूबर 2020 इसका पता चला था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इस वैरिएंट को 'डेल्टा वैरिएंट' नाम दिया था। ये स्ट्रेन अब तक दुनिया के करीब 53 से ज्यादा देशों में मिल चुका है। एक्सपर्ट चेता रहे हैं कि अगर सावधानी नहीं बरती गई तो अगले दो-तीन हफ्तों में महाराष्ट्र में तीसरी लहर आ सकती है। डेल्टा प्लस वैरिएंट पर सवार तीसरी लहर में एक्टिव केसलोड आठ लाख तक पहुंच सकता है और इन मरीजों में 10% बच्चे होंगे।भारत में मिले कोरोनावायरस के डबल म्यूटेंट स्ट्रेन B.1.617.2 को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेल्टा नाम दिया है। B.1.617.2 में एक और म्यूटेशन K417N हुआ है, जो इससे पहले कोरोनावायरस के बीटा और गामा वैरिएंट्स में भी मिला था। नए म्यूटेशन के बाद बने वैरिएंट को डेल्टा+ वैरिएंट या AY.1 या B.1.617.2.1 कहा जा रहा है। K417N म्यूटेशन वाले यह वैरिएंट्स ओरिजिनल वायरस से अधिक इंफेक्शियस हैं। वैक्सीन व दवाओं के असर को कमजोर कर सकते हैं। दरअसल, B.1.617 लाइनेज से ही डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) निकला है। इसी लाइनेज के दो और वैरिएंट्स हैं- B.1.617.1 और B.1.617.3, जिनमें B.1.617.1 को WHO ने वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI) की लिस्ट में रखा है और कप्पा नाम दिया है।
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