Saturday, January 29, 2022

बढ़ते विरोध और दिल्ली महिला आयोग के नोटिस के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने लिया विवादस्पद रिक्रूटमेंट नियम वापस l

दिल्ली महिला आयोग के नोटिस और बढ़ते विरोध के बीच भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने तीन महीने से ज्यादा की प्रेग्नेंट महिलाओं को 'टेंपरेरी अनफिट' बताने वाले नियम को वापस ले लिया है। अब बैंक तीन महीने से ज्यादा की प्रेग्नेंट महिलाओं को 'टेंपरेरी अनफिट' बताकर उन्हें भर्ती करने से मना नहीं कर सकता है। SBI ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कि वह भावनाओं का ध्यान रखते हुए बदले हुए भर्ती नियमों पर रोक लगा रहा है। आगे होने वाली भर्तियां पुराने नियमों के आधार पर ही की जाएंगी।दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस मामले पर SBI को नोटिस जारी किया था। स्वाति ने मांग की थी कि ऐसे दिशा-निर्देशों के पीछे की प्रक्रिया के गठन और उन्हें मंजूरी देने वाले अधिकारियों के नाम शेयर करें। स्वाति मालीवाल ने इस मामले में ट्वीट करते हुए लिखा- भारतीय स्टेट बैंक ने 3 महीने से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को सर्विस में शामिल होने से रोकने के निर्देश जारी किए हैं और उन्हें ‘अस्थाई रूप से अयोग्य’ भी क़रार दिया। यह भेदभावपूर्ण भी है और अवैध भी। हमने उन्हें इस महिला-विरोधी नियम को वापस लेने की मांग करते हुए नोटिस जारी किया है।


क्या कहा था भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी रिक्रूटमेंट गाइडलाइन  में 

दरअसल, बैंक ने 31 दिसंबर 2021 को नए लोगों की भर्ती या प्रमोशन पाने वालों के लिए नई मेडिकल फिटनेस गाइडलाइन जारी की थी। इस गाइडलाइन के मुताबिक, 3 महीने से अधिक की गर्भवती महिला उम्मीदवारों को अस्थाई रूप से अनफिट और अयोग्य माना जाएगा। हालांकि, बैंक ने यह भी कहा था कि बच्चे के जन्म के 4 महीने के बाद महिलाएं काम पर आ सकती हैं।जबकि पुराने नियमों के तहत 6 महीने की गर्भवती महिला उम्मीदवार को SBI में शामिल होने की अनुमति थी। लेकिन इसके लिए उन्हें गायनेकोलॉजिस्ट से एक सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता था, जिसमें यह लिखा हो कि काम की वजह से प्रेग्नेंट महिला की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ऑल इंडिया स्टेट बैंक एम्पलाई यूनियन (AISBEU) के महासचिव के. एस. कृष्णा ने जानकारी दी है कि यूनियन ने इस मसले पर SBI प्रबंधन से आग्रह किया था कि इस दिशा-निर्देश को वापस लिया जाए। कृष्णा के मुताबिक, एक महिला को बच्चा पैदा करने और रोजगार के बीच चुनाव करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। क्योंकि यह उनके प्रजनन अधिकारों और रोजगार के अधिकार दोनों में दखल अंदाजी करता है।


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