Tuesday, March 29, 2022

प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में भारत निभा सकता एक बार फिर से शांतिदूत की भूमिका

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग से घबराई दुनिया के लिए बहुत जल्द ही एक सुकून भरी ख़बर आने वाली है और अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला तो प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में भारत एक बार फिर से शांतिदूत की भूमिका निभा सकता है क्योंकि रूस-यूक्रेन की बीच एक महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे युद्ध को विराम देने का फॉर्मूला भारत में बनाने की तैयारी है।रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव का अचानक भारत दौरा इसी दिशा में अहम कदम है। लावरोव इसी हफ्ते दिल्ली आएंगे और लावरोव की यात्रा के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बैनेट भी भारत आ रहे हैं। नफ्ताली 2 अप्रैल को भारत पहुंच रहे हैं।इसी शांति वार्ता के लिए अमेरिकी विदेश उपसचिव विक्टोरिया नुलैंड भी 25 मार्च को भारत चुकी हैंशांति के फॉर्मूले पर विस्तृत बातचीत रूस-यूक्रेन के बीच भी जारी है। रूसी विदेश मंत्री से बातचीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नफ्ताली के साथ बात करेंगे। नफ्ताली की यात्रा समाप्त होने के बाद मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दीमिर जेलेंस्की से बात करेंगे। दूसरी ओर, नफ्ताली भी यही करेंगे। इससे रूस-यूक्रेन के बीच शांति की राह निकलने की संभावना है।भारत और इजरायल की भूमिका मतभेद के अहम पहलुओं को सुलझाने की है।



क्यों इम्पोर्टेन्ट हैं भारत और इजरायल इस शांति वार्ता के लिए 

  • भारत में कोई भी सरकार रही हो लेकिन रूस से भारत के सम्बन्ध हमेशा अच्छे रहे हैं।मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में रूस और अमेरिका दोनों को ही भारत की जरूरत है, इसलिए विवाद सुलझाने में भारत की भूमिका अहम हो जाती है। यूक्रेन में युद्ध खत्म कराने को लेकर भारत पहले से ही कोशिशें कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक महीने में पुतिन और जेलेंस्की के साथ फोन पर दो बार लंबी बातचीत की है।

  • इजरायल का सबसे नजदीकी दोस्त अमेरिका है। दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दीमिर जेलेंस्की यहूदी हैं, जो इजरायल के लिए अहम हैं। नफ्ताली इसलिए पहले से ही मध्यस्थता की पहल कर रहे हैं।फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी पुतिन और जेलेंस्की से कई बार लंबी बातचीत कर चुके हैं। इसी दौरान मैक्रों और मोदी के बीच भी लंबी बातचीत हुई है। इन कोशिशों का मकसद युद्ध रोकना ही था। अमेरिका भी चाहता है कि भारत और इजरायल युद्ध रोकने का फॉर्मूला तैयार करें।

  • क्वाड में भारत की हिस्सेदारी को लेकर अमेरिका उत्सुक है। वहीं, ब्रिक्स में पुतिन की चाहत है कि वह मोदी और शी जिनपिंग के साथ खड़े होकर पूरी दुनिया को रूस, चीन और भारत की एकजुटता दिखाएं।


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