ऐसा क्या हुआ इस देश की स्थिति इतनी ख़राब हो गयी
श्रीलंका के हालात देखकर यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ जो यह देश इस स्थिति में पहुंच गया? इसके कारणों की जुड़ में बीते कुछ सालों के दौरान किए गए फैसले, टैक्स व्यवस्था में किए गए बदलाव और कोरोना महामारी की मार के मिलेजुले असर की मार है. श्रीलंका सरकार ने नवंबर 2019 के आखिर में वैल्यू एडड टैक्स यानी वैट की दरों को 15 प्रतिशत से घटाकर 8 फीसद करने का फैसला किया. जाहिर है इसका असर राजकोषीय आमदनी पर हुआ. इस फैसले को लेते वक्त अपनी करीब 13% आमदनी के लिए पर्यटन पर निर्भर श्रीलंका ने सोचा भी नहीं था कि चंद महीनों में पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में होगी. ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित पर्यटन क्षेत्र ही हुआ और इसने श्रीलंका के खजाने को बड़ा झटका दिया.
जानकारों का मानना है कि श्रीलंका का बेहद सख्त कोविड पाबंदियां लगाना भी उसके लिए मुसीबत बना क्योंकि इनके चलते भारत से जाने वाले पर्यटकों की संख्या में बड़ी कमी आई. आलम यह था कि साल 2018 में श्रीलंका की आमदनी जहां रिकार्ड 47 करोड़ डॉलर थी वहीं दिसंबर 2020 में घटकर महज 5 लाख डॉलर तक गिर गई. श्रीलंका के खजाने को बड़ा झटका कोविड19 काल में विदेशों में काम करने वाले अपने नागरिकों से भेजे जाने वाली रेमिटेंस मनी में कटौती से भी मिला. कोरोना काल में खाड़ी देशों के इलाकों में काम करने वाले श्रीलंकाई नागरिकों की नौकरियां गईं और उन्हें मुल्क लौटना पड़ा. ऐसे में जहां अर्थव्यस्था पर आय की कमी का बोझ आया वहीं बड़े पैमाने पर लौटे नागरिकों की चुनौती से भी जूझना पड़ा.
इस बार भारत ने श्रीलंका को 40 हजार मीट्रिक टन की मदद की है.
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत लगातार मदद पहुंचा रहा है। भारत ने क्रेडिट लाइन के तहत दूसरी बार श्रीलंका को फ्यूल क्राइसिस से निपटने के लिए डीजल और पेट्रोल सप्लाई किया है। मंगलवार और बुधवार को भारत से 36 हजार मीट्रिक टन पेट्रोल और 40 हजार मीट्रिक टन डीजल श्रीलंका पहुंचा। भारत अब तक 2.70 लाख मीट्रिक टन से अधिक फ्यूल श्रीलंका भेज चुका है।
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