Thursday, May 19, 2022

महाराष्ट्र में पति की मृत्यु के बाद चूड़ी तोड़ने, सिंदूर पोंछने और मंगलसूत्र निकालने की प्रथा समाप्त

महाराष्ट्र ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसकी तारीफ़ पूरे देश में हो रही है यहाँ की सरकार ने एक बड़ा ही साहसी और सुधारात्मक कदम उठाते हुए विधवा महिलाओं के लिए चली आ रही कई रूढ़िवादी परंपराओं को समाप्त करने की पहल की है।अब महाराष्ट्र में पति की मृत्यु के बाद चूड़ी तोड़ने, सिंदूर पोंछने और मंगलसूत्र निकालने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कोल्हापुर की हेरवाड ग्राम पंचायत को नजीर मानते हुए पूरे राज्य में विधवा प्रथा को खत्म करने का आदेश दिया है। यह सरकारी आदेश (सर्कुलर) राज्य सरकार की ओर से सभी ग्राम पंचायतों को जारी किया गया है। इसे पालन करवाने का जिम्मा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को सौंपा गया है। फिलहाल नियम नहीं मानने पर सजा का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। CEO को ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित करने और व्यापक जनजागृति फैलाने के लिए कहा गया है। CEO इस काम के लिए जिला परिषद के सभी अधीनस्थ ग्राम पंचायत अधिकारी और कर्मचारियों की मदद ले सकेंगे और उनकी सहमति से इस पर ग्राम पंचायत स्तर पर नियम बना सकेंगे। प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने सभी ग्राम पंचायतों को हेरवाड ग्राम पंचायत का अनुकरण कर एक आदर्श स्थापित करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कुप्रथा को रोकने के लिए महाराष्ट्र हमेशा आगे रहा है। हेरवाड ग्राम पंचायत ने पति के निधन के बाद पत्नी का सिंदूर पोंछने और मंगलसूत्र निकालने जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। सरकार के इस फैसले पर शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा है-जब यह मामला सामने आया था, तब मैंने मांग की थी कि हेरवाड ग्राम पंचायत का फैसला पूरे राज्य में लागू किया जाए। यह एक क्रांतिकारी फैसला है। वरिष्ठ अधिवक्ता और सोशल एक्टिविस्ट आभा सिंह ने कहा कि इस फैसले का स्वागत है। यह महिलाओं को समानता देने का कदम है। देशभर में जहां भी यह कुप्रथा है, उसे तत्काल खत्म करना चाहिए। कोल्हापुर जिले की हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने 4 मई को विधवाओं की यह अमानवीय प्रथा बन्द करने को लेकर एक प्रस्ताव रखा था, जिसको सर्वसम्मति से सभी ग्राम पंचायत सदस्यों ने पारित कर दिया। इस गांव के इस प्रस्ताव की हर राज्य में खूब चर्चा हुई थी। गांव के लोगों ने यह तय किया कि अगर पति की मृत्यु हो जाती है तो उसके अंतिम संस्कार के बाद महिला की चूड़ियां तोड़ने और माथे से सिंदूर पोंछने, मंगलसूत्र निकालने जैसे कृत्य नहीं किए जाएंगे और महिला को समाज में अपमानित नहीं किया जाएगा।हेरवाड की तर्ज पर कोल्हापुर के मानगांव ने भी अपने यहां विधवा प्रथा को पिछले सप्ताह बंद करने का ऐलान किया था। शिरोल तहसील में आने वाले हेरवाड़ गांव के सरपंच सुरगोंडा पाटिल ने बताया कि करमाला तहसील में महात्मा फुले समाज सेवा मंडल के संस्थापक अध्यक्ष प्रमोद जिंजादे ने यह पहल की है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को इस प्रथाओं से गुजरना पड़ता है, जो बहुत अपमानजनक होता है। पाटिल ने आगे कहा, 'हमें इस प्रस्ताव पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है, क्योंकि इसने हेरवाड़ को अन्य ग्राम पंचायतों के लिए एक मिसाल के तौर पर पेश किया। खासकर जब हम समाज सुधारक राजा राजर्षि छत्रपति साहू महाराज का 100वां पुण्यतिथि वर्ष मना रहे हैं, जिन्होंने महिलाओं के उद्धार के लिए काम किया।'
नर्मदा प्रदेश 
महाराष्ट्र सरकार के इस कदम की सराहना और तहे दिल से स्वागत करता है साथ ही साथ भारत सरकार से भी सम्पूर्ण देश में इन रुढ़िवादी प्रथाओं को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाने का अनुरोध करता है

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