कोरोना ने मध्यप्रदेश में एक बार फिर से सिर उठा लिया है और निकाय चुनाव के दौरान हो रहे जनसम्पर्क ने कोरोना को एक बार फिर से अपने पैर फ़ैलाने का मौका दे दिया हैं इसके साथ ही मौतों का आंकड़ा भी तेज़ी से बढ़ा है । मार्च महीने के बाद अप्रैल और मई में कोरोना से होने वाली मौतों में कमी आयी थी लेकिन मई की तुलना में जून में कोरोना से मौतें लगभग 86% तक बढ़ गई हैं। जून में करीब 1878 लोग संक्रमित हुए। 55 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस दौरान 7 लोगों की जान चली गई। चिंताजनक बात यह है कि अब उम्रदराज लोगों के लिए संक्रमण से जान का खतरा बढ़ रहा है। कोरोना की जद में आने से जिन सात मरीजों की मौतें हुई, उनमें से 4 की उम्र 70+ थी।यहाँ लोगों की लापरवाही भी एक प्रमुख कारण है कोरोना के प्रसार का।लोग इतने बेपरवाह हो गए हैं कि बूस्टर डोज़ की तरफ ध्यान देना ही बंद कर दिया है जबकि भारत सरकार ने 18 से 59 साल की उम्र के लोगों को अब पेड बूस्टर डोज लगाने की अनुमति दे दी है। लेकिन, लोग पैसे देकर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में बूस्टर डोज लगवाने नहीं पहुंच रहे हैं। प्रदेश में 18 से 59 साल के उम्र के अब तक सिर्फ 28 हजार लोगों को ही बूस्टर डोज लग पाया है। भोपाल जैसे बड़े शहर में बूस्टर डोज लगाने के लिए एक-दो निजी अस्पतालों में ही व्यवस्था है।
नर्मदा प्रदेश सभी देशवासियों से जल्द से जल्द बूस्टर डोज़ लगवाने की अपील करता है ।
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