Friday, October 7, 2022

बेलारूस के ह्यूमन राइट्स एडवोकेट आलिस बिलिआत्स्के को वर्ष 2022 के शांति के नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया

वर्ष 2022 के नोबेल पीस प्राइज की घोषणा कर दी गयी हैनॉर्वे की राजधानी ओस्लो में इस पुरस्कार का ऐलान किया गया।शांति पुरस्कार नॉर्वे में प्रदान किया जाता है। बाकी सभी कैटेगरीज के प्राइज स्टॉकहोम में दिए जाते हैं। नोबेल वीक 3 अक्टूबर को शुरू हुआ और 10 अक्टूबर तक चलेगा। 7 दिन में कुल 6 प्राइज अनाउंस होते हैं। इस साल के नोबेल पीस प्राइज (नोबेल शांति पुरस्कार 2022) के लिए एक व्यक्ति और दो संगठनों का चुनाव किया गया है।नोबेल कमेटी के मुताबिक- इस साल कुल 340 व्यक्ति या संस्थाओं ने शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन फाइल किए। इनमें 251 व्यक्ति और 92 ऑर्गनाइजेशन हैं।पिछले साल यानी 2021 में 329 नॉमिनेशन मिले थे। इस साल 343 का आंकड़ा नोबेल पीस प्राइज नॉमिनेशन के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके पहले 2016 में इस कैटेगरी के लिए 376 नॉमिनेशन प्राप्त हुए थे। इन नामों को 50 साल तक पब्लिक यानी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इस बार बेलारूस के ह्यूमन राइट्स एडवोकेट आलिस बिलिआत्स्के को इस साल के नोबेल पीस प्राइज के लिए चुना गया है।

आलिस बिलिआत्स्के
आलिस ने 1980 में बेलारूस की तानाशाही के खिलाफ डेमोक्रेसी मूवमेंट का आगाज किया। आलिस आज भी अपने ही देश में सच्चा लोकतंत्र बहाल करने की जंग लड़ रहे हैं।आलिस ने विसाना नाम का संगठन तैयार किया। यह ऑर्गनाइजेशन जेल में बंद लोकतंत्र समर्थकों को कानूनी मदद मुहैया कराता है। 2011 से 2014 तक आलिस जेल में रहे। 2020 में उन्हें फिर अरेस्ट कर लिया गया और अब तक जेल में हैंआलिस के अलावा रशियन ह्यमून राइट्स ऑर्गनाइजेशन मेमोरियल और यूक्रेनियन ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को दिया गया है। ये दोनों ही संस्थान मानवाधिकार के लिए काम करते हैं। रूस का ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन मेमोरियल 1987 में बना था। इसके फाउंडर मेंबर्स में नोबेल पीस प्राइज विजेता एंद्रेई सखारोव और ह्यूमन राइट्स एडवोकेट स्वेतलाना गनुशकिना भी थे।यह दौर उस समय का है जब सोवियत संघ अस्तित्व में था।सोवियत संघ के 15 हिस्सों में बिखरने के बाद यह रूस का सबसे बड़ा मानवाधिकार संगठन बना। इसने स्टालिन के दौर से अब तक पॉलिटिकल प्रिजनर या राजनैतिक कैदियों के लिए आवाज उठाई। रूस ने जब चेचेन्या पर हमला किया और 2009 में इस संगठन की नतालिया एस्तेमिरोवा मारी गईं तो इस संगठन ने विश्व स्तर पर आवाज उठाई। रूसी सरकार इसे विदेशी जासूसों का संगठन बताती है। सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज, यूक्रेन की राजधानी कीव में 2007 में बना। मकसद यूक्रेन में लोकतंत्र को मजबूत करना था। इस संगठन का कहना है कि यूक्रेन में अब भी सही मायनों में लोकतंत्र मौजूद नहीं है। इस ऑर्गनाइजेशन की मांग है कि यूक्रेन को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का हिस्सा बनना चाहिए। इसी साल फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो इस संगठन वॉर क्राइम के मामलों की जांच की। अब यह मामले इंटरनेशनल कोर्ट में दायर किए जा रहे हैं।
3 अक्टूबर को शुरू हुए नोबेल पुरस्कार वीक में साल 2022 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार फ्रांस की लेखिका 82 साल की एनी एर्नेक्स को दिए जाने का ऐलान किया गया है। एनी ने करीब 40 किताबें लिखी हैं। इनमें से 90% फ्रेंच में है। कुछ का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया। इनमें पैशन सिम्पल, ला पैलेस, द इयर्स, ए फ्रोजन वुमन, हैपनिंग्स और डू वॉट ऑर द एल्स शामिल हैं।







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